सोहराई खोवर पेंटिंग (Sohrai Khovar Paintings)
सोहराय खोवर पेंटिंग GI टैग प्रदान करने के लिए आवेदन सोहराई कला महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड द्वारा किया गया था।
- सोहराई खोवर पेंटिंग एक पारंपरिक और अनुष्ठानिक भित्ति कला है।
- भित्ति चित्र कलाकृति का एक टुकड़ा होता है, जिसे सीधे दीवार की छत या अन्य स्थायी सतहों पर लगाया जाता है।
- सोहराई खोवर पेंटिंग मुख्य रूप से हजारीबाग जिले में ही प्रचलित है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से इसे झारखंड के अन्य हिस्सों में देखा जा रहा है।
- इस पेंटिंग में प्राकृतिक रूप से उपलब्ध विभिन्न रंगों की मृदा का उपयोग कर के स्थानीय फसल और शादी के सीजन के दौरान स्थानीय आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाया जाता है।
- इस कला में लाइनों, डॉट्स, जानवरों के चित्र व पौधों को चित्रित किया जाता है, जो इस कला की एक प्रमुख विशेषता है, जो अक्सर धार्मिक शास्त्रों (जैसे – सामान्य छवि व प्रतीक) का प्रतिनिधित्व करती है।
- सोहराई खोवर पेंटिंगों से झारखंड में महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थलों जैसे – बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (रांची), हजारीबाग व टाटानगर रेलवे स्टेशनों को चित्रित किया गया है।
तेलिया रुमाल (Telia Rumal)
तेलिया रुमाल को GI टैग प्रदान करने के लिए आवेदन पुट्टपका हैंडलूम क्लस्टर-IHDS के कंसोर्टियम द्वारा किया गया था।
तेलिया रूमाल (Telia Rumal) को बनाने के लिए पारंपरिक हथकरघा प्रक्रिया का उपयोग किया जाता है।इसे किसी अन्य यांत्रिक माध्यम से नहीं बनाया जाता क्योंकि ऐसा करने से तेलिया रूमाल (Telia Rumal) की गुणवत्ता कम हो जाएगी।
यह एक इकत परंपरा (Ikat tradition) है, जिसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है।
- इकत एक रंगाई तकनीक है जिसका इस्तेमाल रंगीन कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है।
हैदराबाद में निज़ाम राजवंश के दौरान पुट्टपका गांव में लगभग 20 परिवार हथकरघा बुनाई में लगे हुए थे, जिन्हे अमीर मुस्लिमो और निज़ाम शासकों द्वारा सरक्षण प्रदान किया जाता था थ। तेलिया रूमालों को फारस की खाड़ी, मध्य पूर्व, अदन, पूर्वी अफ्रीका, सिंगापुर और बर्मा में निर्यात किया गया था।
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