बिहार इतिहास के स्रोत (Sources of Bihar history)

बिहार का इतिहास अत्यंत ही समृद्ध एवं वैभवशाली रहा है। संस्कृतियों और धर्मों के अद्भुत समन्वय ने इस भूमि को विश्व के इतिहास में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्थान दिया है। बिहार के इतिहास के अध्ययन से संबंधित अनेक प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं। जिनमें  पुरातात्त्विक एवं साहित्यिक, दोनों प्रकार के स्रोत उपलब्ध हैं।

बिहार इतिहास के पुरातात्विक स्रोत 

बिहार के ऐतिहासिक काल के स्रोत मुंगेर, सारण, वैशाली, गया एवं पटना के विभिन्न स्थलों से प्राप्त हुए हैं। जिनमें सारण के चिरौंद से नवपाषाणकालीन अस्थि उपकरण, वैशाली के चेचर, गया के सोनपुर तथा पटना के मनेर से ताम्रपाषाणकालीन उपकरण एवं मृदभांड प्राप्त हुए हैं। बिहार से प्राप्त अभिलेख ऐतिहासिक जानकारी का सबसे महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

बिहार से प्राप्त मौर्यकालीन अभिलेख 

इन अभिलेखों में अशोक के लौरिया अरेराज, लौरिया नंदनगढ़ और रामपुरवा से प्राप्त स्तंभलेख, सासाराम की चंदनपीर पहाड़ी से प्राप्त लघु शिलालेख तथा अशोक एवं उसके पुत्र दशरथ के बराबर एवं नागार्जुन की पहाड़ियों से प्राप्त गुहालेख आदि प्रमुख हैं। मौर्यकालीन अभिलेखों की भाषा प्राकृत और लिपि ब्राह्मी है। पटना में यक्ष प्रतिमा पर भी  दो अभिलेख प्राप्त हुए हैं।

बिहार से प्राप्त गुप्तकालीन अभिलेख 

  • बसाढ़ (वैशाली जिले) से प्राप्त मुहर, जो महादेवी धुरवस्वामिनी की है, जिसमे यह उल्लेख है कि धुरवस्वामिनी, चंद्रगुप्त द्वितीय की पत्नी तथा गोविंद गुप्त की माँ है।
  • गुप्तकाल के समय के प्राप्त अभिलेख संस्कृत भाषा में हैं, जिसकी लिपि ब्राह्मी है।
  • बोधगया से प्राप्त अभिलेख में श्रीलंका के एक बौद्ध भिक्षु महामना द्वितीय का वर्णन है। जिसमें कहा गया है कि महामना द्वितीय ने बोधगया में वज्रासन के समीप एक प्रासाद बनवाया था।

बिहार से प्राप्त पाल शासकों के अभिलेख 

 पाल शासकों के अभिलेख दक्षिण एवं मध्य बिहार के कई स्थानों से प्राप्त हुए हैं, जिनकी भाषा संस्कृत हैं।

बिहार इतिहास के साहित्यिक स्रोत 

बिहार के इतिहास के साहित्यिक स्रोतो मुख्यत: दो भागो में विभाजित किया जा सकता है, धार्मिक और गैर-धार्मिक स्रोत।

धार्मिक स्रोतों – 

इसके अंतर्गत  वैदिक साहित्य, जैन एवं बौद्ध साहित्य महत्त्वपूर्ण हैं। वैदिक साहित्य में ‘ऋग्वेद’, ‘अथर्ववेद’, ‘शतपथ ब्राह्मण’, ‘वृहदारण्यक उपनिषद्’ आदि महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। बिहार शब्द का प्रथम उल्लेख अथर्ववेद में हुआ है। यद्यपि मगध का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद में हुआ है। बौद्ध साहित्य के  ‘अंगुत्तर निकाय’ एवं ‘भगवती सूत्र’ में पहली बार महाजनपदों का उल्लेख मिलता है। 16 महाजनपदों में मगध, लिच्छवी एवं अंग बिहार में स्थित थे।

गैर-धार्मिक स्रोत

मध्यकाल में मिन्हाज-उस-सिराज की पुस्तक ‘तबकाते नासिरी’, अब्बास खाँ शेरवानी की ‘तारीख-ए-शेरशाही’ प्रमुख साहित्यिक स्रोत हैं। ‘तबकाते नासिरी’ भारत में लिखी गई फारसी भाषा की प्रथम रचना है।  ‘बसातीनुल इंस’,  ‘अफसाना-ए-शाही’, ‘बकीयाते मुश्ताकी’,  ‘रियाज उल सलातीन’ आदि भी बिहार के मध्यकालीन इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत हैं। इसके अतिरिक्त ‘कीर्तिलता’ एवं ‘कीर्तिपताका’, ‘चर्णरत्नाकर’ तथा ‘रजनीरत्नाकर’ भी मध्यकालीन विहार का इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत हैं।

भारतीय इतिहास के संदर्भ में लिखी गई रचनाएँ, जैसे—कौटिल्य का ‘अर्थशास्त्र’, पाणिनि की ‘अष्टाध्यायी’, ‘गुप्तकालीन साहित्य’, जियाउद्दीन बरनी की ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’, बाबर की ‘तुजके बाबारी’, अबुल फजल का ‘अकबरनामा’ आदि भी बिहार के इतिहास को जानने का महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं।

उपरोक्त पुरातात्विक एवं साहित्यिक स्रोतों के अतिरिक्त भी विदेशी साहित्य एवं यात्रियों के यात्रा वृतांत  महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। जिनमें  मेगास्थनीज की इंडिका, फ़ाह्यान, ह्वेनसांग, इंत्सिंग आदि की यात्रा-वृत्तांत प्रमुख है। यूरोपीय यात्रियों जैसे – रॉल्फ फिंच, एडवर्ड टेरी, जॉन मार्शल, पीटर मुंडी, मॉनरिक, मनूची, टेबेनरियर आदि ने अपने यात्रा-वृत्तांतों  में बिहार के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य का उल्लेख किया गया है।

Note :  
बौद्धकालीन जातक कथाओं में निष्क को स्वर्ण सिक्का कहा गया है, किंतु बिहार के किसी भी भाग से अभी तक प्राचीन स्वर्ण सिक्के प्राप्त नहीं हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog

UKSSSC Forest SI Exam Answer Key: 11 June 2023

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 11 June 2023 को UKPSC Forest SI Exam परीक्षा का आयोजन…