मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत (दिल्ली सल्तनत)

मध्यकालीन भारत के इतिहास के अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्रोत (Archaeological sources)साहित्यिक स्रोत (Literary sources) प्रमुख हैं| इस काल  में इतिहास की रचनाएं, शासको की जीवनियां, प्रशासन संबंधी रचनाएं, साहित्यिक कृतियां व यात्रियों के यात्रा वृतान्त प्रमुख हैं। प्राचीन काल में भारत में क्रमबद्ध इतिहास लिखने की परम्परा  विकसित करने का श्रेय तुर्क और मुगलों को प्राप्त है| मध्यकालीन इतिहास जानने के प्रमुख स्रोत इस प्रकार हैं  —

चचनामा —

मोहम्मद बिन कासिम के अभियान, सिन्ध विजय का विस्तृत उल्लेख ‘चचनामा’ नामक ग्रंथ में मिलता है| चचनामा में यह वर्णन मिलता है कि सिंध के सफल अभियान के तत्काल बाद खलिफा वाहिद ने मुहम्मद बिन कासिम को मृत्युदण्ड दिया था | अबूबकर कूफी ने नासिरुद्दीन कुबाचा के समय में अरबी भाषा से इसका फारसी अनुवाद किया | 

तहकीक-ए-हिन्द (किताबुल हिन्द) —

इसकी रचना अल्बेरुनी (Al-Biruni) ने अरबी भाषा में की थी।  यह रचना 1017 से 1030 बीच भारतीय जीवन के अध्ययन एवं निरीक्षण पर आधारित है। इस ग्रन्थ में अल्बेरुनी ने महमूद गजनवी के समय के भारत की राजनीति आर्थिक, सामाजिक व धार्मिक स्थितियों के बारे में विस्तृत वर्णन किया है।  पुराणों का अध्ययन करने वाला अलबेरुनी प्रथम मुस्लिम (Muslim) था।

  • सर्वप्रथम सचाऊ (Schaou) ने इसका अंग्रेजी भाषा में अनुवाद  India, An Account of the Religion नाम से किया है।
  • हिन्दी भाषा में अनुवाद राजनीकान्त शर्मा द्वारा किया गया है।

ताज-उल-मासिर  —

 इसकी रचना सदरुद्दीन मुहम्मद हसन निजामी ने की थी | इसमें 1191 ई. से 1217 ई० के मध्य भारतीय ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन केलता है|

तबकात-ए-नासिरी —

इसकी रचना मिनहाज-उस-सिराज ने फारसी भाषा में की थी। 13वीं शताब्दी में लिखे गए इस  ग्रन्थ भारत पर तुर्क आक्रमणों, दिल्ली में सल्तनत की स्थापना, तथा इल्तुतमिश एवं रजिया के शासन काल के अध्ययन के लिए एक मात्र समकालीन और स्रोत है| मिनजहाजुद्दीन सिराज का जन्म 1193 ई० में मध्य एशिया के एक कुलीन (Noble) परिवार में हुआ था।

तारीख-ए-फिरोजशाही व फतवा-ए-जहाँदारी  —

इन दोनों के लेखक जियाउदोन बर्नी हैं| तारीख-ए-फीरोजशाही को ऐतिहासिक ग्रन्थ की दृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना गया है, यह फारसी भाषा में है। फतवा-ए-जहाँदारी तारीख-ए-फिरोजशाही के समकालीन तथा उसका एक पूरक खण्ड है।

तारीख-ए-फीरोजशाही —

इसकी रचना शम्से सिराज अफीफ ने  की थी। शम्से सिराज ने तैमूर के आक्रमण के पश्चात् इस ग्रन्थ को लिखा था| इस ग्रन्थ में अफीफ ने फिरोज तुगलक के काल के स्थापत्य संबंधी गतिविधियाँ, नहरें बनवाना बाग लगवाना, शाही टकसाल की कार्य-विधि, खाद्य पदार्थों के मूल्य, सिक्का ढलाई वे ब्यौरे, उत्सव समारोह, राजस्व प्रबंध, उसका बंगाल आक्रमण, भंगोल आक्रमण, लोकहितकारी कार्य तथा गुलामों की व्यवस्था का वर्णन किया है। 

सीरत-ए-फिरोजशाही —

इस ग्रंथ की रचना किसी अज्ञात लेखक द्वारा सुल्तान फिरोजशाह तुगलक के शासन काल में किया था|

फतुहात-ए-फरोजशाही —

यह सुल्तान फिरोजशाह तुगलक द्वारा लिखित स्वयं की आत्मकथा हैइससे उसके शासन प्रबन्ध तथा धार्मिक नीति की जानकारी मिलती है|

फुतुह उस सलातीन 

इसकी रचना ख्वाजा अब्दुल्लाह मलिक इसानी ने  की थी जिसने इसे बहमनी राज्य के संस्थापक अलाउद्दीन बहमनशाह के संरक्षण में 1250 ई० में पूर्ण किया| इनका जन्म 1311 ई० में हुआ था, यह मुहम्मद तुगलक का समकालीन था|

रेहला  

इसकी रचना मोरक्को (Morocco) के यात्री इब्नबतूता ने लिखा है। यह उसका यात्रा-वृत्तांत है, जो अरबी भाषा में रचित है| इस ग्रंथ में उसने मुहम्मद तुगलक के दरबार, उसके नियम, रीति-रिवाजों, परम्पराओं, दास प्रथा एवं स्त्रियों की दशा का सुन्दर वर्णन किया है|

अमीर खुसरो द्वारा लिखित ग्रन्थ —

अमीर खुसरो को तूती-ए-हिंद के नाम से भी जाना जाता है, जिनके द्वारा लिखित प्रसिद्ध रचनाएं इस प्रकार हैं – किरान-उस सूदन मिताह-उल फुतुह, खजायन-उल फुतुह, आशिका, नह सिपिहर, तुगलकनामा व एजाज ऐ सुखरवी |

Note :

  • पूर्व इस्लाम काल में अरबों के बीच वंशावलियां लिखने की परम्परा विकसित थी जिन्हें ‘अन्साब’ कहते थे|
  • “सीरत” हजरत मुहम्मद की जीवनियों का संकलन है |
  • युद्धों के वृतान्त को “मगाजी” के रूप में संकलित किए गए |
  • “तबकात” सामान्य इतिहास से सम्बन्धित ग्रन्थ हैं |

2 Comments

  1. आपके द्वारा प्रस्तुत किया गया लेख हमें बहुत अच्छा लगा हम उम्मीद करते हैं कि आपका आने वाले लेख इसी तरह ज्ञानमय हो

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