राज्य विधानसभा के सदस्यों (प्रतिनिधियों) का चुनाव जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से किया जाता है , विधानसभा में प्रतिनिधियों की संख्या राज्य की जनसँख्या के आधार पर निर्धारित होती है। विधानसभा में प्रतिनिधियों की अधिकतम संख्या 500 व न्यूनतम संख्या 60 निर्धारित की गई किंतु कुछ राज्यों हेतु विशेष प्रावधान किए गए है , जैसे – अरुणांचल प्रदेश , सिक्किम , गोवा में विधानसभा प्रतिनिधियों की संख्या 30 और मिजोरम व नागालैंड के लिए क्रमश: 40 व 46 है।
राज्यपाल द्वारा आंग्ल-भारतीय (Anglo-Indian) समुदाय से एक प्रतिनिधि विधानसभा में मनोनीत किया जा सकता है, यदि इस समुदाय का प्रतिनिधि विधानसभा में नही है। संविधान लागू होते समय 1950 में यह प्रावधान केवल 10 वर्षो के लिए था किंतु 95 वें संविधान संसोधन 2009 द्वारा इसे 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया ।
आधार वर्ष 1991 के आधार पर 84 वें संविधान संसोधन 2001 के द्वारा वर्ष 2026 तक लोकसभा तथा विधानसभा की सीटों की संख्या में कोई परिवर्तन ना करने का प्रावधान किया गया है ।
कार्यकाल
अनु०- 172 के अंतर्गत राज्य विधानसभा का कार्यकल 5 वर्ष के लिए निर्धारित किया गया है , किंतु इस निश्चित समय से पूर्व भी राज्यपाल द्वारा विधानसभा को भंग किया जा सकता है।
राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में संसद द्वारा विधानसभा का कार्यकाल एक समय में 1 वर्ष तक के लिए बढ़ाया जा सकता है किंतु आपातकाल खत्म होने की स्थिति में इसका कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं हो सकता है ।
कार्य व शक्तियां
- राज्य सूची के सभी विषयों पर कानून बनाने का अधिकार विधानसभा को प्राप्त है ।
- यदि राज्यों में विधानमंडल द्विसदनीय है तो विधेयक विधानसभा से पारित होकर विधान परिषद् के पास जाता है तो विधानपरिषद उसे 3 माह के लिए रोक शक्ति है या उसे रद्द कर दे , या उस पर कोई कार्यवाही न करे या उसमे संसोधन की सिफारिश जो विधानसभा द्वारा स्वीकृत ना हो तो विधानसभा उसे पुन: स्थापित कर विधानपरिषद के पास भेज सकती है । पुन: विधेयक विधानपरिषद में भेजे जाने पर विधानपरिषद द्वारा उसे 1 माह तक रोक सकती है , अत: विधानपरिषद द्वारा किसी विधेयक को अधिकतम 4 माह तक रोका जा सकता है ।
- धन विधेयक को राज्यपाल की संस्तुति से केवल विधानसभा में ही प्रस्तुत किया जा सकता है , विधान परिषद् द्वारा इसे अधिकतम 14 दिनों तक रोका जा सकता है।
- मंत्रीपरिषद् अपने समस्त कार्यो के लिए विधानसभा के प्रति उत्तरदायी होते है ।
- अनु०- 202 के अंतर्गत प्रत्येक वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में वित्त मंत्री द्वारा वार्षिक वित्तीय विवरण (Budget) प्रस्तुत किया जाता है।
योग्यता
- भारत का नागरिक हो
- 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो
- किसी भी लाभ के पद पर न हो
सदस्यता की समाप्ति
- दोहरी सदस्यता द्वारा
- अयोगता के आधार पर
- त्यागपत्र द्वारा
- अनुपस्थिति द्वारा