यूनिवर्सल बेसिक इनकम (Universal Basic Income – UBI)

2019 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आगामी चुनाव का एजेंडा तय करते हुए एक बड़ा वादा किया है। उन्होंने एलान किया है कि कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आई तो देश के सभी गरीबों को ‘न्यूनतम आय (Universal Basic Income – UBI) की गारंटी दी जाएगी।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI)

यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) का अर्थ है कि सरकार द्वारा से देश के प्रत्येक नागरिक को एक न्यूनतम मासिक आय देना। भारत में इसे सभी गरीब परिवारों के लिए लागू करने की बात होती रही है।

क्यों होना चाहिए लागू

वैश्विक स्तर पर असमानता तेजी से वृद्धि हो रही है, तथा इसी के साथ बेरोजगारी में भी वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि मौजूदा व्यवस्था को सहारा नहीं मिला को असमानता और बेरोजगारी सबसे बड़ी चुनौती बन जाएगी।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) कैसे काम कर सकता है

आर्थिक सर्वे 2016-17 के अनुसार, भविष्य की इस योजना के तीन पक्ष हैं-

  • सार्वभौमिक,
  • बिना शर्त और
  • संस्थागत

इसके आकलन के लिए गरीबी रेखा निर्धारित करने के सुरेश तेंदुलकर फॉर्मूले से 7,520 रुपये प्रति वर्ष तय किया गया है, लेकिन एक दूसरा सर्वे के अनुसार इस दर पर UBI को लागू करने पर जीडीपी का 4.9 फीसद खर्च सरकारी खजाने पर पड़ेगा।

मोदी सरकार कर रही विचार

पहली फरवरी को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के इस कार्यकाल का अंतिम बजट प्रस्तुत होगा। चर्चा है कि इस अंतरिम बजट में सरकार यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) का एलान कर सकती। है। पूर्व वित्तीय सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने 2016-17 के आर्थिक सर्वे में इस योजना को लागू करने की सिफारिश की थी।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) को लागू करने में कठिनाई

देश में गरीबी रेखा का आकलन सही तरीके से नहीं हुआ है। तेंदुलकर फॉर्मूले से 22% आबादी को गरीब बताया गया, जबकि सी. रंगराजन फॉर्मूले ने 29.5% आबादी को गरीबी रेखा के नीचे माना।

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