उत्तराखंड – पंवार वंश से संबंधित प्रमुख तथ्य (Part 2)

  • वर्ष 1519 ई. में अजयपाल की मृत्यु के पश्चात उसका पुत्र कल्याण शाह गद्दी पर बैठा।
  • तिब्बत को पुराने समय में दाबा कहा जाता था। तिब्बत पर पहला शासक (गढ़वाल) का जिसने आक्रमण किया
  • – विजयपाल
  • गढ़वाल का शासक बलभद्र शाह, भीष्मचंद, बालोचंद, रुद्रचंद एवं चित्रकार मोलाराम मुग़लकालीन शासक अकबर के समकालीन थे।
  • गढ़वाल के शासक महिपतिशाह ने सेनापति लोदी रिखोलानागा साधुओं की हत्या की थी। वर्ष 1634 ई. में महीपतिशाह की मृत्यु हो गई थी।

रानी कर्णावती और पृथ्वीपति शाह 

  • महीपतिशाह की मृत्यु के पश्चात उनका 7 वर्षीय पुत्र पृथ्वीपति शाह गढ़वाल के पंवार वंश का शासक बना, और रानी कर्णावती उनकी संरक्षिका बनी।
  • वर्ष 1635 ई. रानी कर्णावती के समय मुगल सेनापति नवाजद खाँ (शाहजहाँ ) ने दून क्षेत्र पर आक्रमण किया, जिसका रानी कर्णावती ने बहादुरी से सामना किया और मुगल सेनापति व उसकी सेना को पराजित कर उनकी नाक कटवा दी।इस युद्ध में विजय के पश्चात रानी कर्णावती नाककटी रानी के नाम से प्रसिद्ध हुई।
  • रानी कर्णावती को ताराबाई व गोलकुण्डा की दुर्गावती के नाम से भी जाना जाता है। 1640 ई. में रानी कर्णावती ने चमोली हाट गांव में भूमि दान की।
  • रानी कर्णावती ने देहरादून में कर्णपुर नामक शहर की स्थापना की।
  • 1640 ई. में पृथ्वीपति शाह का राज्य अभिषेक कर उन्हें पंवार वंश का शासक नियुक्त किया गया।
  • रानी कर्णावती को नाक कान काटने वाली रानी के नाम का उल्लेख कहाँ से मिलता है – निकोलस मनूची द्वारा लिखित हिस्ट्री ऑफ मुगल 
  • 1655 ई. में गढ़वाल पर दूसरा आक्रमण भी शाहजहां द्वारा ही किया गया, जिसमे पृथ्वीपति शाह पराजित हुआ।
  • हटकोटी की संधि पृथ्वीपति शाह और मन्धाता प्रकाश के मध्य हुई थी।
  • बाज बहादुर चंद ने पृथ्वीपति शाह के विरुद्ध युद्ध में शाहजहां सहायता प्रदान की थी, जिससे प्रसन्न होकर शाहजहां ने बाज बहादुर को बहादुर की उपाधि दी।
  • 1656 ई. में शाहजहां के शासनकाल में गढ़वाल पर अन्तिम आक्रमण कासिम खां के नेतृत्व में किया,  जिसमे पृथ्वीपति शाह पराजित हुआ।
  • पृथ्वीपति शाह के पुत्र मेदनीशाह ने सुलेमान शिकोह को औरेंगज़ेब  को सौंपा था।

  • पराक्रम शाह को परमार वंश (पंवार वंश) का चरित्रहीन राजकुमार के नाम से जाना जाता है।
  • तुमुल के युद्ध में माधो सिंह भण्डारी की मृत्यु हुई।
  • दाराशिकोह को लघु अकबर के नाम से संबोधित किया जाता है तथा सुलेमान शिकोह अभागा शाहजादा कहाँ जाता है।
  • औरंगजेब ने वर्ष 1659 ई. में गढ़वाल पर आक्रमण किया।
  • 5 जून 1661 में मेदनी शाह ने सुलेमान शिकोह को औरंगजेब के दरबार में प्रस्तुत किया।
  • चित्रकार, हरदास व श्यामदास भी सुलेमान शिकोह के साथ गढ़वाल के दरबार में आये थे।
  • अंतिम पंवार वंशीय राजा मानवेन्द्र शाह का देहान्त 5 जनवरी 2007 को हुआ था।

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