स्वर (Vowels)

वह वर्ण जिन्हें स्वतंत्र रूप से बोला जा सकता है उन्हें “स्वर” कहते है। हिंदी वर्णमाला के आधार पर स्वरों की कुल संख्या 13 है, लेकिन उच्चारण की दृष्टि से केवल 10 ही स्वर है

  • हिंदी वर्णमाला के आधार पर कुल 13 स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, , ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:
  • उच्चारण के आधार पर कुल 10 स्वर है – अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

स्वरों का वर्गीकरण

स्वरों को उनके प्रयोग के आधार पर निम्नलिखित भागों में विभक्त किया जा सकता है –

मात्रा/ उच्चारण काल के आधार पर

ह्रस्व स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में कम समय लगता है, उन्हें ह्रस्व स्वर कहते है। जैसे – अ, इ, उ (इन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगता है।)

दीर्घ स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में ह्रस्व स्वर से अधिक समय लगता है, उन्हें दीर्घ स्वर कहते है। जैसे – आ, ई, ऊ, ए, ऐ, औ, (इन स्वरों के उच्चारण में दो मात्रा का समय लगता है।)

प्लुत स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में दीर्घ स्वर से भी अधिक समय लगता है, उन्हें प्लुत स्वर कहते है। जैसे – राम (ऐसे शब्दों का प्रयोग किसी को पुकारने या नाटक के संवादों में उपयोग किया जाता है।)

जीभ के प्रयोग के आधार पर

अग्र स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में जीभ के अग्र भाग का प्रयोग होता है, उन्हें अग्र स्वर कहते है। जैसे – इ, ई, ए, ऐ

मध्य स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में जीभ मध्य भाग का प्रयोग होता है, उन्हें मध्य स्वर कहते है। जैसे – अ

पश्च स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में जीभ पश्च भाग का प्रयोग होता है, उन्हें पश्च स्वर कहते है। जैसे – आ, उ, ऊ, ओ, औ,

मुख द्वार खुलने के आधार पर

विवृत – वह स्वर जिनके उच्चारण में मुख द्वार पूर्णतः खुला रहता है, उन्हें विवृत स्वर कहते है। जैसे – आ

अर्ध-विवृत – वह स्वर जिनके उच्चारण में मुख द्वार आधा खुला रहता है, उन्हें अर्ध-विवृत स्वर कहते है। जैसे – अ, ऐ, औ,

अर्ध-संवृत –वह स्वर जिनके उच्चारण में मुख द्वार आधा बंद रहता है, उन्हें अर्ध-संवृत स्वर कहते है।जैसे – ए, ओ

संवृत – वह स्वर जिनके उच्चारण में मुख द्वारलगभग बंद रहता है, उन्हें संवृत स्वर कहते है। जैसे – इ, ई, उ, ऊ

होंठो की स्थिति के आधार पर

आवृतमुखी – वह स्वर जिनके उच्चारण में होंठ वृतमुखी या गोलाकार नहीं होते है उन्हें आवृतमुखी स्वर कहते है। जैसे – अ, आ, इ, ई, ए, ऐ,

वृतमुखी – वह स्वर जिनके उच्चारण में होंठ वृतमुखी या गोलाकार होते है उन्हें वृतमुखी स्वर कहते है। जैसे – उ, ऊ, ओ, औ,

हवा के मुँह व नाक से निकलने के आधार पर

मौखिक स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में हवा केवल मुँह से निकलती है, उन्हें मौखिक स्वर कहा जाता है। जैसे – अ, आ, इ आदि।

अनुनासिक स्वर – वह स्वर जिनके उच्चारण में हवा मुँह (Mouth) के साथ साथ नाक (Nose) निकलती है, उन्हें अनुनासिक स्वर कहा जाता है। जैसे – अ, आ, इ आदि।

घोषत्व के आधार पर स्वरों का वर्गीकरण

  • घोष का अर्थ है – स्वरतंत्रियों में श्वास का कंपन्न।
  • स्वरतंत्रियों में जब भी कंपन्न होता है, तो सदैव सघोष ध्वनियाँ उत्पन्न होती है।

Note – सभी स्वर सघोष ध्वनियाँ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.

Latest from Blog

UKSSSC Forest SI Exam Answer Key: 11 June 2023

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा आयोग (Uttarakhand Public Service Commission) द्वारा 11 June 2023 को UKPSC Forest SI Exam परीक्षा का आयोजन…