द्वितीय विश्व युद्ध 1 सितम्बर 1939 को शुरु हुआ।
द्वितीय विश्व युद्ध के कारण
- वार्साय की संधि
- तुष्टिकरण की नीति
- राष्ट्र संघ की असफलता
- उग्र राष्ट्रवाद
- सैन्यीकरण
द्वितीय विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण
1938 ई. तक हिटलर की आक्रामक गतिविधियों के कारण यूरोप का वातावरण तनावपूर्ण हो गया था। हिटलर ने चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार करने के पश्चात पोलैंड पर भी अधिकार करना चाहता था और 1 सितम्बर 1939 को उसने पोलैंड पर आक्रमण कर दिया।
द्वितीय विश्व युद्ध के प्रभाव :
द्वितीय विश्व युद्ध ने प्रथम विश्व युद्ध की अपेक्षा अधिक मानव जीवन को प्रभावित किया। जन-धन, उद्योग और संचार की अपार बरबादी यूरोप और एशिया में हुई। कम से कम 3 करोड़ लोग मारे गये जिनमें आधे रुसी थे तथा 60 लाख यहूदियों को मारा गया था।
जिस तरह प्रथम महायुद्ध के बाद पेरिस में सारी समस्याओं से संबंधित संधियों की गई, वैसी व्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नहीं हुई इसका मुख्य कारण यह था कि युद्ध के अंतिम महीनों में सोवियत संघ एवं पश्चिमी देशों के बीच संदेह और अविश्वास ने एक व्यापक व्यवस्था को असंभव बना दिया।
- इटली को अपना सारा अफ्रीकी उपनिवेश खोना पड़ा और उसने अलबानिया और अबीसीनिया पर अपना अधिकार छोड़ दिया।
- द्वितीय विश्व युद्ध ने तीव्र वैज्ञानिक प्रगति को प्रोत्साहित किया। लड़ाकू जहाजों जो युद्ध में काम आये थे। उन्होंने युद्ध के बाद विकसित होने वाली समुद्र पार यात्री उड़ान सेवाओं के मार्ग खोल दिए, राडार का विकास हुआ।
- कृत्रिम वस्तुओं के निर्माण को प्रोत्साहन मिला पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी एशिया में युद्ध फैल जाने के कारण प्राकृतिक रबर का आयात प्रभावित हुआ, संक्रामक बीमारियां युद्ध में तेजी से फैली है अतः प्रतिजैविकों की खोज की गई।
- मानव चिन्तन और परिवेश पर द्वितीय विश्व युद्ध का सबसे बड़ा प्रभाव हिरोशिमा और नागासाकी पर आणविक बमों के गिराये जाने का पड़ा। एक आणविक युग की शुरुआत थी।
- द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान विभिन्न सरकारों को सैनिक और असैनिक समस्याओं के समाधान के लिए अनेक उपाय करने पड़े थे। सरकार और जनता के बीच सीधा सम्पर्क स्थापित हुआ। सरकार ने चिकित्सा, आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में जनता के हित में अधिकाधिक हस्तक्षेप करना शुरु किया। इस प्रकार कल्याणकारी राज्य की भावना का उदय हुआ।
- प्रथम विश्व युद्ध की तरह द्वितीय विश्व युद्ध ने भी क्रांतिकारी घटनाओं की एक लहर पैदा की।
- युद्ध के बाद उपनिवेशवाद का अंत हो गया और एशिया के देश स्वतन्त्र होने लगे।
- पश्चिमी एशियाई देशों ने पाश्चात्य देशों द्वारा नियन्त्रित राष्ट्रीय साधनों का राष्ट्रीयकरण शुरु किया एवं विदेशी फौजों को हराना शुरु किया।
- पश्चिमी एशिया में यहूदियों के लिए ब्रिटेन और अमेरिका ने पृथक देश इजराइल का निर्माण किया। (बाल्फोर घोषणा से)
- यूरोपीय वर्चस्व का अंत एवं विश्व राजनीति में अमेरिका का वर्चस्व।
- शीत युद्ध की शुरुआत नाटो, सीटो (पश्चिमी देश), वारसा पैक्ट (साम्यवादी देश) जैसे सैन्य संगठनों का निर्माण हुआ।