लाखु उडियार (LakhuUdiyar) अल्मोड़ा में सुयाल नदी के तट पर स्थित है। सुयाल नदी को प्राचीन काल में शाल्मली नदी के नाम से जाना जाता था। माता सुखरौ देवी का मंदिर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार नगर (लालढांग मार्ग, देवी रोड़) में स्थित है। उत्तराखंड के घोड़ाखाल (नैनीताल…
Read Moreइंडियन मेडिसिन फार्मास्युटिकल लिमिटेड (Indian Medicine Pharmaceutical Limited), मोहान (अल्मोड़ा) में स्थित है। ऐबट पर्वत (Abbott Mountains) उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है। उत्तराखंड में पाए जाने वाले रोज जिरेनियम (Rose Geranium) पौधो का मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका देश का है। कैलाश पर्वत की तलहटी पर पार्वती…
Read Moreचंद वंश का शासक मोहन चंद शासक दो बार कुमाऊं का शासक बना। खटीमा का प्राचीन नाम मकरपुर था। उत्तराखंड के पौड़ी-गढ़वाल जिले में प्रत्येक वर्ष संगलाकोटी मेला लगता है। अखिल तारणी मंदिर, उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित है। शैलोदय नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन शिवानंद नौटियाल ने किया था। चंद…
Read Moreउत्तराखंड राज्य पुलिस अकादमी, नरेंद्र नगर (टिहरी) में स्थित है। हिमालय दिवस (Himalayan Diwas) प्रत्येक वर्ष 9 सितम्बर को हिमाँचल प्रदेश और उत्तराखंड सरकार द्वारा हिमालय दिवस (Himalayan Diwas) के रूप में मनाया जाता है। हिमालय दिवस की शुरुआत वर्ष 2010 में एक पहल के रूप में हुई थी, जिसके प्रमुख…
Read Moreउत्तराखंड की भोटिया जनजाति का मुख्य रूप से भेड़पालन का कार्य करती है। भोटिया जनजाति की उप जातियाँ भोटिया, जाड़, मारछा व तोलछा है। 17 November 1960 को जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी तथा वर्ष 1972 में गोविंद बल्लभ पंत की स्मृति में इस विद्यालय…
Read Moreरानी कर्णावती द्वारा करनपुर गाँव (देहरादून) में बसाया गया था। अबू-फ़ज़ल इब्न मुबारक द्वारा लिखित आइन-ए-अकबरी (Ain-i-Akbari) में कुमाऊं प्रान्त को को दिल्ली सूबे के अंतर्गत दर्शाया गया है। खंलगा दुर्ग उत्तराखंड के नालापानी (देहरादून) में स्थित है। पंवार शासनकाल के अधिकांश अभिलेखों को गढ़वाली भाषा में लिखा गया है।…
Read Moreसलामी कर – यह अधिकारियों को भेंट स्वरुप दिया जाने वाला कर था। सौण्या फाल्गुन कर – यह कर त्योहारों व उत्सवों पर भेंट के रूप में लिया जाता था। खान व टकसाल कर। अधनी कानूनगो कर। सायर कर – यह व्यापारियों से लिया जाने वाला चुंगी कर था। दोनिया…
Read Moreटांड कर – यह कर वस्त्र बुनकरों से लिया जाता था। कटक कर – यह कर सेना के रख-रखाव के लिए लिया जाता था। बैकर कर – यह कर अनाज के रूप में लिया जाता था। कनक कर – इस कर का उल्लेख मूनाकोट ताम्रपत्र में है, यह कर व्यापारियों…
Read Moreउत्तराखंड के तराई क्षेत्र में किस क्षेत्र में पाताल तोड़ कुएं मिलते है। उत्तराखंड में अधिकांश पर्यटन स्थल शिवालिक श्रेणी में स्थित है। शिवालिक पहाड़ियों को प्राचीनकाल में मैनाक पहाड़ियों के नाम से जाना जाता था। मसूरी (पहाड़ों की रानी), मध्य हिमालय श्रेणी में स्थित है। प्राचीन ग्रंथों में वृहत्त हिमालयी…
Read Moreवैज्ञानिकों दृष्टिकोण से भारतीय भू-भाग को 5 भूकम्पीय क्षेत्रों (जोन) में विभाजित किया गया है। जिसमें 2 क्षेत्र (जोन) उत्तराखंड के अंतर्गत आते है – जोन 4 – इसके अंतर्गत संवेदनशील जिले आते है, जैसे – देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, नैनीताल, उधमसिंह नगर। जोन 5 – इसके अंतर्गत अति संवेदनशील जिले आते…
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