कालसी, देहरादून में यमुना और टोंस नदी के संगम पर स्थित है, जहाँ पर सम्राट अशोक का 13 वां शिलालेख स्थित है। कालसी को कालकूट के नाम से भी जाना जाता है। नीलकंठ पर्वत को गढ़वाल की रानी के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरकाशी घाटी में रहने वाले…
Read Moreउत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित वरूणावत पर्वत पर प्रथम बार भूस्खलन वर्ष 2003 में हुआ था। वरूणावत पर्वत पर आयी दरार के बारे में वर्ष 1803 में पता चला था। असी गंगा नदी का उदगम डोडीताल से होता है। असी गंगा, भागीरथी की एक सहायक नदी है। ब्रिटिश अधिकारी…
Read Moreमोहन खाल तांबे की खान उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित है। हिन्दी कवि नागार्जुन, उत्तराखंड के जहरीखाल (पौड़ी) नामक स्थान से संबंधित है। बद्रीनाथ धाम को नरहरि तीर्थ के नाम से भी जाना जाता है। जौनसारी जनजाति द्वारा अंडे कांडे डांस नामक नृत्य किया जाता है। चमोली में स्थित…
Read Moreसलाणी बोली उत्तराखंड के पौड़ी जिले में बोली जाती है। धनपुरिया बोली उत्तराखंड के चमोली जिले में बोली जाती है। बिसोई ग्राम (जौनसार) के प्रथम समाज सेवी केदार सिंह थे। पंच बदरी के अंतर्गत आने वाले मंदिर – श्री बदरीनाथ धाम, वृद्ध बदरी, योग बदरी/ ध्यान बद्री, भविष्य बदरी, आदि…
Read Moreचंद वंश के राजा जगतचंद के शासनकाल को कुमाऊं का स्वर्णकाल कहा जाता है। चंदवंशीय राजकुमार “गंगनाथ” को अल्मोड़ा में घर-घर में पूजा जाता है। एटकिंसन के अनुसार अशोकचल्ल के गोपेश्वर त्रिशूल लेख की तिथि वर्ष 1191 ई. है। गोरखा राजाओं ने राईजाति की बहादुरी से खुश होकर उन्हें सुब्बा…
Read Moreगोचर (चमोली) में उत्तराखंड बोली संस्थान की स्थापना की गयी है। जाड़ जनजाति मुख्य रूप से उत्तरकाशी जिले के जादुंग गांव में निवास करती है। सुसवा, सौंग नदी की एक सहायक नदी है। उत्तराखंड के पौड़ी जिले में कालागढ़ नामक स्थान पर वन जन्तु रक्षक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की…
Read Moreसिख गुरु महंत रामसेवक को कढ़ाई दीप परीक्षा से गुजरना पड़ा था। वर्ष 1890 में नैनीताल में बोट हाउस क्लब (Boat House Club) की स्थापना की गयी थी। पौड़ी (उत्तराखंड) टेली रेडियोलॉजी सुविधा की शुरुआत करने वाला देश का पहला राज्य है। वर्ष 1982 उत्तराखंड के कांचुला खर्क, गोपेश्वर, चमोली…
Read Moreवर्ष 1930 में अमन सभा की स्थापना लैंसडाउन (पौड़ी-गढ़वाल) में की गयी थी। इसी सभा के अनुरोध पर सर सर मैल्कम हेली (Malcolm Hailey) पौड़ी आये थे। वर्ष 1913 में कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जनपद में कुमाऊं शिल्पकार सुधारिणी सभा का गठन किया गया था। वर्ष 1911 में, हरिप्रसाद टम्टा…
Read Moreदंगलेश्वर महादेव (Dangaleshwar Mahadev) का मंदिर उत्तराखंड के सतपुली (पौड़ी) नगर में स्थित है। रथी देवता का मंदिर उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले के अलेरू किल्याखाल में स्थित है। माता सुखरौ देवी का मंदिर उत्तराखंड के कोटद्वार (पौड़ी गढ़वाल) नगर में स्थित है। झूला देवी मंदिर (Jhula Devi Temple) उत्तराखंड…
Read Moreकार्तियपुर राजवंश (कत्यूरी वंश) का अंतिम शासक वीरदेव था, जिसे जागरों में वीरमदेव के नाम से भी जाना जाता है। यौधेय शासकों की मुद्राएँ उत्तराखंड में जौनसार-भाबर देहरादून, कालों डांडा, लैंसडाउन व पौड़ी गढ़वाल से प्राप्त हुई है। यौधेय शासकों व कुणिंद शासक एक दूसरे के समकालीन थे। कुणिंद वंश…
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