भारतीय संविधान के अनुच्छेद 214 के अंतर्गत प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है, किंतु दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय, अथवा बड़ी जनसंख्या वाले राज्य के लिए एक से अधिक उच्च न्यायालय की व्यवस्था का अधिकार भारतीय संसद्
Read Moreसंरचनात्मक दृष्टिकोण से बिहार को प्री-कैंब्रियन (Pre-Cambrian) कल्प से लेकर चतुर्थ कल्प तक की चट्टानें पाई जाती हैं। प्री-कैंब्रियन (Pre-Cambrian) कल्प की चट्टानें धारवाड़ संरचना और विंध्यन संरचना के रूप में बिहार
Read Moreबिहार गंगा के मध्य मैदानी भाग में स्थित पूर्वी भारत का राज्य है। बिहार का वर्तमान स्वरूप 15 नवंबर, 2000 को झारखंड के पृथक् होने के बाद आया है। आयताकार आकृतिवाला वर्तमान
Read Moreसंरचना एवं उच्चावच की भिन्नता के आधार पर बिहार को मुख्यत: तीन भागों में विभाजित किया सकता है। शिवालिक पर्वतीय प्रदेश, गंगा का मैदान छोटानागपुर सीमांत पठारी प्रदेश बिहार की क्षेत्रीय प्राकृतिक
Read Moreबिहार में अनेक प्रकार की भौतिक विविधताएँ जैसे – पर्वत, पठार और मैदान सभी प्रकार की भू-आकृतियाँ पाई जाती हैं। यद्यपि बिहार का अधिकांश भू-भाग मैदानी क्षेत्र है, किन्तु उत्तर में स्थित
Read Moreबिहार में लोकनृत्यों का भी अत्यधिक महत्व है। यहाँ सभी पर्वों, जैसे- संस्कार, पर्व और मनोरंजन इत्यादि पर लोकनृत्यों को किया हटा है इन लोकनृत्यों से आपसी सौहार्द और एकता का भाव
Read Moreबिहार से विभाजित होकर नया राज्य बनने के पश्चात झारखंड में जनजातियों की संख्या बहुत कम हो गई, किन्तु कुछ जनजातियों अभी भी हैं, जो बिहार की समृद्ध सामाजिक संस्कृति को अपनी
Read Moreबिहार के लोकनाट्यों का जनजीवन में काफी महत्वपूर्ण स्थान है। इन नाटयों में अभिनय, संवाद, कथानक, गीत तथा नृत्यों का अत्यधिक महत्व हैं। इन्हें सांस्कृतिक और मांगलिक अवसरों पर दक्ष कलाकारों द्वारा
Read Moreभारत में क्षेत्रीयता के आधार पर लोकगीतों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक राज्य में लोकगीतों की अलग-अलग परंपरा रही है। यह लोकगीतों पर्व-त्योहार, शादी-विवाह, जन्म, मुंडन, जनेऊ आदि अवसरों पर गाए
Read Moreऋग्वैदिक काल (1500-1000 ई.पू.) के अंतिम चरण में सामाजिक जीवन में कई प्रकार की कुरीतियों आने लगीं। ऋगवेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में पहली बार वर्ण-व्यवस्था का उल्लेख हुआ है,
Read Moreबिहार में मानव सभ्यता के इतिहास को मुख्यत: दो भागों में विभाजित किया जा सकता है प्राक्-ऐतिहासिक काल ऐतिहासिक काल प्राक्-ऐतिहासिक काल प्राक्-ऐतिहासिक काल से सम्बंधित आदि मानव के निवास के साक्ष्य
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